लंदन में प्रकाशित फोटोग्राफी इन इंडिया बुक में मप्र से एकमात्र फोटो आर्टिस्ट नागदा के सुरेश पंजाबी के फोटो को मिला स्थान
कहते हैं, किसी पल को अगर अमर करना हो तो उसे तस्वीरों में कैद कर लो। तस्वीरें किसी के प्रति आपकी भावनाओं का हाल तो बताती ही है उस दौर, माहौल और परिवेश का सच्चा दस्तावेज भी बन जाती है। इंसान के पास जब इतने हाईटेक कैमरे नहीं थे, तब भी वह तस्वीरें बनाता था। बाद में जब कैमरे का आविष्कार हुआ, तो फोटोग्राफी भी इंसान के लिए अपनी क्रिएटिविटी का प्रदर्शन करने का एक जरिया बन गया। इसी क्रिएटिविटी पर लंदन में प्रकाशित एक पुस्तक फोटोग्राफी इन इंडिया में नागदा के फोटो आर्टिस्ट सुरेश पंजाबी के चित्रों को भी स्थान मिला है। पुस्तक भारत में वर्ष 1850 से वर्तमान दौर के फोटोग्राफी की गाथा पर आधारित है। पुस्तक के लेखक नाथानियल गैसकेल और दिवा गुजराल ने फोटोग्राफी की 169 सालों की यात्रा को भारत की संस्कृति, लोक परंपरा, प्रगति और जीवन मूल्यों को फोटोग्राफी के माध्यम से उकेरा है। बुक फोटोग्राफी पर शोध कर रहे विश्वभर के विद्यार्थियों के लिए महत्वपूर्ण रेफरेंस दस्तावेज बन गई है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो चुके हैं सम्मानित
पंजाबी शहर में 40 साल से सुहाग स्टूडियो का संचालन कर रहे है। 120 एमएस से लेकर 35 एमएम नेगेटिव से उनके द्वारा तैयार मेन्युअल फोटोग्राफ को 2013 में दिल्ली में आयोजित फोटो फेस्टिवल, आर्टिशयन कैमरा बुक, 2014 में मैग्जीन दी-टाइम आउट ऑफ इंडिया में प्रकाशित टॉप 10 फोटोग्राफर के 10 चित्रों में स्थान मिल चुका है। 2016 में चेन्नई और 2017 में रशिया के जार्जिया शहर में आयोजित आठ दिवसीय प्रदर्शनी में भी पंजाबी के छायाचित्रों को स्थान दिया गया था। पंजाबी को उत्कृष्ट फोटोग्राफी के लिए दिल्ली की आर्ट हेरिटेज गैलरी ने सवा लाख के पुरस्कार से सम्मानित भी किया था।
सुरेश पंजाबी।